Tuesday, February 8, 2011

लडकियों के प्रति नही बदली है सोच

कास सबको ऐसा प्यार मिलता 
अजीब बिडंबना है इस देश की जहा मातृसत्ता की पूजा की जाती है वही न जाने कितने लडकियों को पुत्र प्राप्ति की लालसा में जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता है, सरकार भ्रूण हत्या को रोकने के लिए  जागरूकता के नाम पर करोड़ो रूपये खर्च कर रही है फिर भी कोई लगाम लगाने में कामयाब नही हो पा रही है इसका सीधा सा मतलब है की सरकारी तंत्र अपने काम के प्रति  लापरवाही बरत रहा है तभी भ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध को रोकने में कामयाब नही हो पा रही है शहरो की बात करे तो स्थिति थोड़ी सही है लेकिन  गावो में आज भी लडकियों को बोझ ही समझा जाता है समाज में आज भी लडकियों की तुलना  में लडको को ज्यादा प्राथमिकता दी जाती है यहा तक की जब विवाहित औरते पुत्र को जन्म देती है तो उन्हें आशीर्वाद दिया जाता है घर मोह्हले  में मीठाइया  बाटी जाती है जबकि लडकियों के जन्म पर ऐसा कुछ भी नही किया जाता है इस तरह के कार्यो और सोच को जमीनी स्तर  पर कार्य करके रोका जा सकता है लोगो को यह विशवास दिलाया जा सकता है की लडकिय आज किसी भी मायने में लडको से काम नही है दोनों ही  समान है केवल लडको से ही वंस नही चलता  उसके लिए  लडकियों का भी होना जरूरी है आज भ्रूण हत्या के कारण ही हजार लडको पर ९५१ लडकिया है और यह नही रुका तो वह दिन दूर नही जब शादी  के लिए लडकियों का  टोटा होगा  
एक सर्वे के अनुसार भ्रूण हत्या के मामले में उo प्रo सबसे आगे है यहा हर साल दो लाख लडकियों को जन्म लेने से पहले ही मर दिया जाता है जबकि पुरे देश में लगभग सात लाख लडकियों की हत्या कर दी जाती है इसपर लगाम लगाने के लिए सरकार ने सजा का भी प्रावधान किया है जिसके अंतर्गत पाए जाने वाले दोषी को एक लाख रुपया का जुरमाना और पाच साल की कैद हो सकती है लेकिन सत्य यही है की  न तो अभी तक सरकार इसे रोक पाई है और न ही इसमें  कमी ला पाई है और आज तक  सायद ही किसी को इसके लिए सजा भी मिला है 
देश में आज हर समय समानता और विकाश की बात की जा रही है लेकिन सच्चाई  यही है की लाख प्रयासों के बाद भी आज देश में लडकियों  के प्रति सामाजिक  सोच नही बदली है आज भी लडकियों की वही स्थिति है जो पहले थी कल भी लडकियों को बोझ समझा जाता था आज भी लडकियों को बोझ ही समझा जा रहा है आज इक पुत्र प्राप्ति के लालच में माता पिता न जाने कितने लडकियों की बलि इ देते है  .......अगर एक  जिन्दगी का मतलब कई लडकियों का बलिदान है तो उस   जिन्दगी को कौन जीना चाहेगा 

3 comments:

  1. पी डी एन डी टी एक्ट के बारे में जानकारी देते तो ये पोस्ट सम्पूर्ण हो जाती लेकिन फिर भी बढ़िया लिखा है

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  2. समाज के दोहरे चेहरे का खूबसूरत चित्रण ...

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  3. jab tak maa baap khud apni soch nahi bdlege .... tab tak koi niyam kanoon..........kuch nhi kr payega..........

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