Sunday, October 4, 2015

बुनियादी विकास को तरसते गाँव......


बचपन से यही सुनते सुनते बड़े हो गये की भारत गाँवों का देश है, और इसकी आत्मा गाँवो में ही बसती है, यहा की 70 प्रतिशत आबादी गाँवो में निवास करती है, और देश के विकाश में इन गाँवों का बहुत बड़ा योगदान है, लेकिन अगर इन गाँवों के विकास को देखा जाए तो सबसे ज्यादा उपेछित यही है, वर्षों से राजनेता आते रहे है और गाँव के विकास के नाम पर तो कभी किसानो के कल्याण के नाम पर, तो कभी पक्की सड़क बनवाने के नाम पर तो कभी स्कूल और अस्पताल खुलवाने के नाम पर वोट मागते रहे है, और हम हर बार उनपर विश्वास करके उन्हें वोट भी दे देते है, लेकिन आज भी गाँवो में विकास के ग्राफ को देखा जाए तो आज ये गाँव विकास तो छोडिये ये अपनी मुलभूत सुविधाओ के लिए भी तरस रहे है,किसानों को कृषि के लिए सिंचाईं और खाद की जरूरत पड़ती है सिंचाई के लिए उसे पूरी तरह मानसून पर ही निर्भर रहना पड़ता है, क्योकि सिंचाई के लिए कोई और वैकल्पिक माध्यम उपलब्ध ही नही है जैसे नहर, टुबेल आदि, यदि मानसून अच्छा रहा और बारिश हो गयी तब तो ठीक है फसल भी अच्छी हो जाती है नही तो सब भगवान भरोसे ही छोड़ दिया जाता है, जबकि खाद में कालाबाजारी करने के बाद जो बचता है वह दिखने के लिए किसानों को दे दिया जाता है,कुछ लोगों का मानना ये भी है की वक़्त बदल गया है अब गाँव में मोबाइल आ गया है टीवी आ गया है इंटरनेट की वजह से लोग कंप्यूटर चलाने लगे है लेकिन क्या ये विकास है और यदि विकास है तो गाँव की बुनियादी सुविधओं का क्या जिसके अंतर्गत शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी, और मकान आते है, यदि गाँव की सड़कों को देखा जाए तो समझ में ही नही आता की सड़क पर गड्ढे बन गये है या गड्ढे में सड़क बनी हुई है और गलती से सड़क थोड़ी अच्छी निकली तो बचा खुचा काम नालियों से बहने वाली पानी से पूरा हो जाता है , क्योंकि घरो से निकालने के बाद उसके लिये न तो किसी गाँव के निवासी ने व्यवस्था की है और न ही सरकार कुछ कर रही है अगर कोई गलती से किसी को सड़क पर पानी बह्वाने के लिए मना कर दे तो बवाल होना तय है प्राथमिक विद्यालय की स्थिति को तो मत ही पूछिए वहा छात्र कम होते है और अध्यापक ज्यादा बाकि स्कूल बंद होने के बाद गाँव के जानवर वहा जगह बना लेते है बिजली तो ऐसी है की कब आती है और कब जाती है किसी को पता ही नही चलता, स्वास्थ की तो समस्या और भी बड़ी है, अस्पताल जाने के बाद पता ही नही चल पाता की कितने हजार मरीजों पर एक डॉक्टर है, इसलिए ज्यादा से ज्यदा मरीजों को अपने स्वस्थ के लिए झोला छाप डॉक्टरो पर ही आश्रित होना पड़ता है अक्सर हम सुनते है की एक आदमी ने पहाड़ काट के रास्ता बना दिया तो किसी ने अकेले ही पुरे व्यवस्था को बदल डाला ऐसे में अगर हम गाँव में एक ऐसे सरपंच को चुने जो गाँव के विकास के लिए कार्य करे और गाँव की सभी मुलभूत समस्याओं को ध्यान में रखकर उसके निवारण के लिए कार्य करे तो गाँव का विकास हो सकता है क्योकि हर बड़े काम की शुरुआत छोटे से ही होती है ........





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